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चतुर्थ काल अंग्रेज़ी में

[ caturtha kal ]
चतुर्थ काल उदाहरण वाक्य
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उदाहरण वाक्य

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  1. एक कल्प काल के चतुर्थ काल में यहाँ से २ ४ तीर्थंकर और असंख्यात मुनिराज मोक्ष जाते है ।
  2. ? आचार्य इन्द्र, वायु, भारद्वाज आदिकाल से प्रथम, द्वितीय और तृतीय युग लपेटे हैं तथा अंत में चतुर्थ काल में पोषकर चारायण और काषकृत्सन है।
  3. ? आचार्य इन्द्र, वायु, भारद्वाज आदिकाल से प्रथम, द्वितीय और तृतीय युग लपट हैं तथा अंत में चतुर्थ काल में पोषकर चारायण और काषकृत्सन है।
  4. हम बहुत सारे तीर्थों से जुड़े हैं चतुर्थ काल से पंचम काल और आगे जब तक तीर्थ नहीं आता है अभी महावीर का शासन काल चल रहा है!
  5. ऊपरी सतह की खुदाई में चतुर्थ काल में विशेष प्रकार के मिट्टी के पात्र जिनमें ठप्पों से बना अलंकरण व स्वर्ण लेप व कुछ में अभ्रक का लेप है प्राप्त हुई हैं।।
  6. यह अवसर्पिणी के चतुर्थ काल का समापन तथा पंचम काल का सन्धि काल था, जब कार्तिक शुक्ल एकम से नवीन संवत्सर का शुभारम्भ हो कर यह श्री वीर निर्वाण संवत के नाम से प्रचलित हुआ।
  7. यह अवसर्पिणी के चतुर्थ काल का समापन तथा पंचम काल का सन्धि काल था, जब कार्तिक शुक्ल एकम से नवीन संवत्सर का शुभारम्भ हो कर यह श्री वीर निर्वाण संवत के नाम से प्रचलित हुआ।
  8. आठ दिनों तक चलने वाली इस धर्म आराधना में अन्तगड़दशा सूत्र नामक ग्रन्थ का पाठ किया गया जिसमें चतुर्थ काल में जैन धर्म के तीर्थकर, अरिष्टनेमी व महावीर स्वामी के प्रवचनों को सुनकर उस काल के राजाओ, उनकी पटरानी व महारानी व प्रजा के मन में वैराग्य उत्पन्न हुआ और उन्होने अपनी आत्मा के कल्याण के लिए उनके समक्ष दीक्षा अंगीकार कर जैन साधु के नियमों का पालन करते हुए मोक्ष को प्राप्त हुए।
  9. इसके दायीं और भगवान अहरनाथ और बायीं और भगवान कुंधुनाथ की मूर्ति स्थापित है| वेदी में पांच बालयति (भगवान वासुपूज्य, भगवान मल्लिनाथ, भगवान नेमिनाथ, भगवान पार्श्वनाथ व भगवान महावीरस्वामी) का एक फलक काफी प्राचीन प्रतीत होता है| बीच की प्रतिमा पदमासन और दो प्रतिमा खडगासन है| दो प्रतिमाएं खंडित है| संभवत: मुस्लिम काल में मुज़फ्फरनगर के भारग गाँव के जंगल में मिली थी, जो यहाँ पर ले आये गयी| प्रतिमा पर कोई लेख नहीं है, इसलिए लोग चतुर्थ काल की मानते है|
  10. इसके दायीं और भगवान अहरनाथ और बायीं और भगवान कुंधुनाथ की मूर्ति स्थापित है | वेदी में पांच बालयति (भगवान वासुपूज्य, भगवान मल्लिनाथ, भगवान नेमिनाथ, भगवान पार्श्वनाथ व भगवान महावीरस्वामी) का एक फलक काफी प्राचीन प्रतीत होता है | बीच की प्रतिमा पदमासन और दो प्रतिमा खडगासन है | दो प्रतिमाएं खंडित है | संभवत: मुस्लिम काल में मुज़फ्फरनगर के भारग गाँव के जंगल में मिली थी, जो यहाँ पर ले आये गयी | प्रतिमा पर कोई लेख नहीं है, इसलिए लोग चतुर्थ काल की मानते है |


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